India Canada Economic Comparison: भारत के साथ हालिया विवादों के चलते चर्चा में रहे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के देश की आर्थिक स्थिति अब गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है. वर्ल्ड ऑफ स्टैटिस्टिक्स की नई रिपोर्ट के अनुसार कनाडा में घरेलू कर्ज (हाउसहोल्ड डेट) का स्तर बेहद ऊंचा है. यह उनकी जीडीपी का 103% है. यह अनुपात दुनिया में सबसे ज्यादा है. जिससे साफ है कि कनाडा के लोगों पर उनके देश की कुल अर्थव्यवस्था से भी अधिक कर्ज हो चुका है.
घरेलू कर्ज का मतलब क्या है?
घरेलू कर्ज यानी हाउसहोल्ड डेट का अर्थ उस कर्ज से है, जो नागरिक रोजमर्रा के खर्चों और बड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए लेते हैं. इसमें घर खरीदना, शिक्षा, चिकित्सा और अन्य जरूरतें शामिल हैं. यह कर्ज परिवारों की खर्च करने योग्य आय (डिस्पोजेबल इनकम) के अनुपात में देखा जाता है. कनाडा की जीडीपी से ज्यादा कर्ज के बोझ में फंसे होने का मतलब है कि वहां के नागरिक वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहे हैं, जो उन्हें आर्थिक रूप से अस्थिर बना सकता है.
ट्रंप की नीतियों से कनाडा पर बढ़ेगा दबाव
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में कनाडा की स्थिति और गंभीर हो सकती थी और उनकी वापसी पर भी ऐसा असर संभव है. ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में नॉर्थ अमेरिका फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (NAFTA) की समीक्षा और अमेरिका में आयात पर टैरिफ बढ़ाने का वादा किया था. अगर इस दिशा में कदम बढ़ते हैं तो कनाडा की अर्थव्यवस्था पर भारी असर हो सकता है क्योंकि अमेरिका उसका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. इन संभावनाओं से कनाडा की मौजूदा आर्थिक स्थिति में और चुनौती आ सकती है.
घरेलू कर्ज में अन्य देशों की स्थिति
कनाडा के बाद, घरेलू कर्ज के मामले में यूनाइटेड किंगडम (80%) और अमेरिका (73%) का स्थान है. इसके अलावा, फ्रांस (63%), चीन (62%), जर्मनी (52%), स्पेन (48%) और इटली (39%) में भी यह अनुपात ऊंचा है. इन देशों में भी लोग घर, शिक्षा और अन्य जरूरतों के लिए काफी कर्ज ले रहे हैं, जो आर्थिक स्थिरता पर असर डाल सकता है.
भारत की स्थिति
भारत में घरेलू कर्ज का अनुपात जीडीपी का 37% है, जो कनाडा, अमेरिका, और यूके जैसे देशों से कम है. 2021 में यह अनुपात 39.2% तक पहुंचा था. लेकिन इसके बाद इसमें सुधार हुआ है. भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह सकारात्मक संकेत है कि यहां लोग कर्ज लेने में सावधानी बरत रहे हैं. हालांकि इस बढ़ते कर्ज पर ध्यान देना जरूरी है ताकि वित्तीय स्थिरता बनी रहे.
भारत सातवें स्थान पर
वर्ल्ड ऑफ स्टैटिस्टिक्स द्वारा जारी की गई नई रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के कई देशों में घरेलू कर्ज (हाउसहोल्ड डेब्ट) का हिस्सा उनकी जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के एक बड़े हिस्से में है. इस लिस्ट में भारत 37 प्रतिशत कर्ज अनुपात के साथ सातवें स्थान पर है. जबकि, कनाडा 103 प्रतिशत के साथ पहले स्थान पर है. इस रिपोर्ट ने घरेलू कर्ज के प्रति देशों की वित्तीय स्थिति का एक नया पहलू उजागर किया है.
भारत को सावधानी बरतने की जरूरत
भले ही भारत में घरेलू कर्ज का अनुपात अन्य देशों की तुलना में कम है, लेकिन इसका बढ़ता ग्राफ एक चिंता का कारण बन सकता है. वित्तीय संस्थाओं और सरकार को चाहिए कि वे लोगों को वित्तीय साक्षरता के माध्यम से जागरूक करें. इससे लोग कर्ज लेते समय समझदारी से निर्णय ले सकेंगे. साथ ही बैंक और वित्तीय संस्थानों को भी उचित ब्याज दर और लोन ऑफर के मामले में सतर्कता बरतनी चाहिए ताकि कर्ज लेने का दबाव और न बढ़े.
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